Antim Kriya

Your Call We Manage All

मृत्यु षाष्वत सत्य है। प्रत्येक प्राणी का जन्म होते ही मृत्यु भी सुनिष्चित हो जाती है।परन्तु मृत्यु के साथ घोर दुःख का ज्वार भी आता है और पीछे छूटे प्रियजनों को अतीव कष्ट में डुबो जाता है। उस अत्यन्त दुःख की घड़ी में परिजन एक दूसरे को साँत्वना दें या क्रियाकर्म की व्यवस्था में लगें ? प्रियजन के सँताप को तो दूर नहीं किया जा सकता है परन्तु उस अतीव सँकट की घड़ी में अन्तिम-सँस्कार और क्रियाकर्म सम्बन्धित कार्य की जिम्मेवारी लेने मात्र से ही परिजनों को किन्चित धैर्य प्राप्त हो सकता है। वेदना की घड़ी में “अन्तिम-क्रिया” परिवार आप के साथ तत्परता व पूर्ण जिम्मेदारी से खड़ा है। आप एक फोन मात्र किजीये, आगे सभी कार्य की जिम्मेदारी हमारी है।हमारे द्वारा अन्तिम-सँस्कार व क्रियाकर्म सम्बन्धित सभी व्यवस्थायें, पूर्ण विधि विधान से, समय पर और गरिमा के साथ सम्पादित की जाती है।

12 Day's Process for Antim kriya

प्रथम दिन की क्रिया

प्रथम दिन दाह-सँस्कार किया जाता है। जिसमें क्रम से शरीर-शुद्धि, पिण्ड-दान, दाह-सँस्कार और कपाल-क्रिया होती है। सबसे पहले ज्येष्ठ पुत्र या जो भी क्रिया करे वो स्नान कर श्वेत वस्त्र पहनता है। फिर शुद्ध जल में गँगाजल मिलाकर मृतक को स्नान करवाया जाता है। मृतक को गँगामाटी का तिलक किया जाता है। मृतक के मुँह में चरणामृत, गँगाजल, तुलसी-पत्र और सोना डाला जाता है। जौ के आटे के पाँच पिण्ड दान किये जाते है। पहला पिण्ड मृत स्थान पर, दूसरा घर के द्वार पर, तीसरा चौराहे पर, चौथा विश्राम स्थान पर और पाँचवा चिता स्थान पर दिया जाता है। दूसरे पिण्ड दान के पश्चात सभी रिश्तेदार शव की परिक्रमा करके शव को कन्धों पर रख कर अन्तिम यात्रा पर निकल पड़ते हैं। विश्राम स्थान पर मृतक के चारों जल की धारा दी जाती है। काष्ट की परिक्रमा करवा कर मृत देह को चिता पर लिटा दिया जाता है। फिर घर से लाई अग्नि द्वारा दाह सँस्कार किया जाता है। अर्द्ध दाह होने पर नारियल से कपाल क्रिया की जाती है। दाह पूर्ण होने पर सभी रिश्तेदार चिता में काष्ट देते हैं और स्नान करते हैं। श्मशान से वापसी पर जल व नीम की पत्तियाँ लाई जाती है। जल से घर में छिड़काव होता है और भोजन से पहले नीम की पत्तियाँ चबाई जाती है।

तीसरे दिन की क्रिया

तीसरे दिन अस्थि सञ्चय का कार्य किया जाता है। जिसमें चावल के पिण्ड से एकोदिष्ट श्राद्ध, अस्थि-सञ्चय, अस्थि पूजन और काक बलि आदि क्रियायें होती है। सबसे पहले चिता को दूध से व जल से प्रोक्षित किया। उसके बाद अस्थियों को चुन लिया जाता है। अस्थियों की पूजा करके उन्हें रेशमी थैली में रख दिया जाता है। फिर एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है। फिर बलि दी जाती है। भस्म को चिता स्थान पर इकट्ठा कर जल के खुले मुँह वाले कलश से मधुर बलि दी जाती है। कार्य सम्पन्न होने पर अस्थियों को तीर्थ जल में प्रवाहित किया जाता है। तीसरे दिन तीये बैठक की जाती है। तीसरे दिन से लेकर दसवें दिन तक सांयकाल में गरूड़ पुराण या श्री मद्भगवत गीता के प्रवचनात्मक पाठ किये जाते हैं।

दसवें दिन की क्रिया

दसवें दिन दशगात्र विधान होता है। जिसमें 09 पिण्ड जौ के आटे के व दसवाँ पिण्ड उड़द के आटे का बनता है। इन दस पिण्डों से अवयव श्राद्ध किया जाता है और काकबलि दी जाती है।

ग्याहरवें दिन

ग्याहरवें दिन नारायण बलि कर्म किया जाता है। जिसमें श्री विष्णु पूजा, हवन, तर्पण और मध्यम षोडश व उत्तम षोडश श्राद्ध किया जाता है। ब्राह्मणों द्वारा विष्णु भगवान के स्तोत्रों के पाठ भी किये जाते हैं। अन्त में महाब्राह्मण को भोजन करवाया जाता है। महाब्राह्मण को मृतक द्वारा उपयोग लिये गये पाँच बर्तन और एक जोड़ी कपड़े दक्षिणा सहित दिये जाते हैं।

बारहवें दिन

बारहवें दिन प्रथम चरण में मृतक को स्व पितृ पँक्ति में सम्मिलित करने हेतु सपिण्डी श्राद्ध किया जाता है एवं पञ्चग्रासी दी जाती है। द्वितीय चरण में गँगा उद्यापन किया जाता है। तत्पश्चात 13 ब्राह्मणों को भोजन करवा कर पददान दिया जाता है। इसके बाद शय्यादान कार्य होता है। फिर गरूड़ पुराण या गीता का महात्म्य किया जाता है। मृतक स्त्री थी तो कार्य यहीं पूर्ण हो जाता है। मृतक पुरुष थे तो ज्येष्ठ पुत्र के पगड़ी बाँधने का विधान होता है।

विशेष

ये कतई आवश्यक नहीं है कि उपरोक्त सभी क्रियायें सभी के की जाये। अपने परिवार के बुजुर्गों से मशविरा कीजिये। जो क्रियायें आपके परिवार में सम्पादित होती रही हैं। वो क्रियायें ही कीजिये।

अन्य सेवायें

हम आपकी आवश्यकताओं के अनुसार ये अन्य सेवाएं भी प्रदान करते हैं। ऐसी सेवाओं के लिए आप हमसे किसी भी समय संपर्क कर सकते हैं।

5-Star Rated Services

अन्तिम-दर्शनिका
अन्तिम-दर्शनिका

कारणवश दाह सँस्कार में देरी होने पर शव को सुरक्षित रखने हेतु अन्तिम-दर्शनिका भी उपलब्ध है ।
`{` अन्तिम दर्शनिका निःशुल्क उपलब्ध है `}`

तीये की बैठक
तीये की बैठक

तीये की बैठक के लिये विशेष प्रवचन कर्ता भी उपलब्ध है।

भजन
भजन

ग्याहरवें दिन भजन या रामधुन करवाने की व्यवस्था भी उपलब्ध है।

शय्यादान
शय्यादान

आवश्यकतानुसार पददान व शय्यादान की व्यवस्था भी की जाती है।

शव वाहिनी
शव वाहिनी

घर से श्मशान लाने हेतु शव वाहिनी सशुल्क उपलब्ध है ।

टैक्सियाँ
टैक्सियाँ

अस्थि-विसर्जन हेतु पुष्कर, हरिद्वार, सोरोंजी व अन्यत्र जाने के लिये सभी तरह की टैक्सियाँ भी उपलब्ध है।

भोजन करने हेतु ब्राम्हण
भोजन करने हेतु ब्राम्हण

बारहवें दिन भोजन करने हेतु ब्राम्हण व ब्राह्मणियों की व्यवस्था भी उपलब्ध है।

अन्य सेवाए
अन्य सेवाए

इस काम से संबंधित कोई भी अन्य सेवाओं के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं।

Our Packages… Most Affordable & One Stop Solution

हमारी सर्विस पैकेज निम्नलिखित है:

हम आपके द्वारा चुने गए पैकेज के आधार पर सभी दिनों का काम प्रदान करते हैं।

1
प्रथम दिन
2
तीसरा दिन
3
दसवाँ दिन
4
ग्यारहवाँ दिन
5
बारहवाँ दिन
6
नित्य पाठ